Hindi English Wednesday, 08 May 2024
BREAKING
उपायुक्त डा. यश गर्ग ने किया शिशुगृह का दौरा दिव्यांग विद्यार्थियों ने की योग उत्सव में भागीदारी जिला न्यायालय पंचकूला और उपमंडल स्तरीय न्यायालय कालका में 11 मई को होगा राष्ट्रीय लोक अदालत का आयोजन लोकसभा आम चुनाव-2024 के लिए अंतिम मतदाता सूची का हुआ प्रकाशन अस्थमा के लक्षणों को जल्दी पहचानने से फेफड़ों के बेहतर स्वास्थ्य और अस्थमा के गंभीर हमलों को रोकने में मदद मिल सकती है: डॉ. मोहित कौशल पीठासीन (पीओ) और सहायक पीठासीन अधिकारियों (एपीओ) की राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय में चल रही ट्रेनिंग हुई संपन्न एक्सपेंडिचर अब्जर्वर लोकसभा अंबाला ने चुनाव निगरानी के लिए गठित विभिन्न टीमों के साथ आयोजित की बैठक पंजाब का पहला पार्किंसंस सपोर्ट ग्रुप लॉन्च किया आचार संहिता के दौरान कैश, शराब, हथियार आदि पर निगरानी रखने के लिए किया गया उड़न दस्ते व स्थैतिक निगरानी टीमों का गठन अक्षय तृतीय के दिन बाल विवाह रोकने के लिए अधिकारियों की टीम गठित - उपायुक्त

विविध / कथा कहानी

More News

डर - कमलेश भारतीय

Updated on Friday, January 31, 2014 15:10 PM IST

वह सुबह उठा। नहा-धोकर, हल्का-फुल्का नाश्ता कर दफ्तर जाने के लिए तैयार होने लगा। जूते पहनने लगा तो अचानक एक जूते का फीता कसते-कसते टूट गया। इतना समय नहीं बचा था कि बाज़ार जाकर नये फीते खरीद लाता। जैसे-तैसे पुराने फीते कसे। एक छोटा रह गया, दूसरा बड़ा। दफ्तर यह सोचकर रवाना हुआ कि शाम को नए फीते खरीद लेगा।

दिन भर दफ्तर में बैठे-बैठे उसका ध्यान बार-बार अपने जूतों पर जाता रहा। एक बड़े व दूसरे छोटे फीते पर जाता रहा। वह मेज़ के पीछे जूतों को ज्यादा से ज्यादा छिपाने की कोशिश में लगा रहा। दूसरे कर्मचारी देखेंगे तो कितना बुरा लगेगा। वैसे भी हम यही तो सोचते रहते हैेंं कि दूसरे सोचेंगे तो कैसे लगेगा? आज उसे इस बात पर और भी गौर करने का मौका मिला।

जैसे-तैसे शाम आई। वह सीधा एक बड़ी सी मार्केट में पहुंचा। एक से एक बड़ा जूतों का शो-रूम। सिर्फ एक जोड़ी फीते चाहिए थे उसे तो। किस शो-रूम में जाए? चकाचौंध कर देने वाली रोशनियों के बीच चमचमाते जूते। कहीं भी फीते दिखाई नहीं दे रहे थे। सहमे-सहमे एक शो-रूम में दाखिल हुआ। अपने पुराने जूतों पर उसे खूब शर्म व संकोच महसूस होने लगा। कहीं पढ़ी हुई कविता भी मन में गूंजने लगी। हर आदमी एक जोड़ी जूता है-जो मेरे सामने मरम्मत के लिए खड़ा है। वह ऐसा ही महसूस कर रहा था-जैसे सेल्समेन के सामने अपनी औकात जानना चाहता हा।

संकोच में फीतों के बारे में पूछा। सेल्समेन ने बड़ी हैरानी से उसे देखा और अपने पेशे की विनम्रता को मुश्किल से संभाले हुए अगले शो-रूम की ओर इशारा कर दिया। वह फिर दूसरे शो-रूम के सेल्समेन के सामने खड़ा था। लोग एक से एक जूते पहन कर देख रहे थे। उसे तो सिर्फ दो जोड़ी फीते चाहिए थे। सेल्समेन पहले शो-रूम के सेल्समेन से ज्यादा विनम्र नहीं था। उसने घूरा और पूछा- तुम्हें यह भी नहीं पता कि इतने बड़े शो-रूम में फीते नहीं बिकते, नए जूते लेने हों तो बताओ, दिखा देता हूं।

सभी शो-रूम में ऐसे ही स्वागत् के बाद वह बाहर निकल आया। देखा लोग फास्ट फूड खा रहे हैं और कप-प्लेट फेंक रहे हैं। उसे महसूस हुआ जैसे बड़े शो-रूम वाले सेल्समेन यही समझाने की कोशिश कर रहे थे-जनाब, यह यूज एंड थ्रो का जमाना है, आप फीते ढूंढ रहे हैं। फेंको इन जूतों को और नए खरीदो। आम आदमी कहां जाए? इसलिए वह आज तक जूतों पर एक छोटा व बड़ा फीता डाले घूम रहा है और डरता रहता है कि कोई देख न ले।

Have something to say? Post your comment
X