चंडीगढ़ - प्रियजनों के दुनिया से चले जाने के बाद उनके परिवार के लोग विभिन्न अवसरों पर उन्हें श्रद्धांजलि देते रहते हैं। अपनी भावनाओं को व्यक्त करने के लिए वे अखबारों में श्रद्धांजलि संदेश छपवाते हैं। नम्रता माथुर भी अपने दादाजी को श्रद्धांजलि देने के लिए चार साल तक हर साल अखबार में संदेश देती रहीं। लेकिन मार्च 2013 में जब उन्होंने श्रद्धांजलि डॉट कॉम पर लॉग इन किया तो उन्हें यह मंच काफी पसंद आया। उसके बाद अपने दादाजी के नाम श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिए उन्होंने इसी मंच को चुन लिया। अपने दादा की पुण्यतिथि के अवसर पर उन्हें याद करने के लिए अब वे इस वेबसाइट पर स्पेस खरीदकर अपना संदेश देती हैं। नम्रता की ही तरह ऐसे कई यूजर्स हैं, जो अपने प्रियजनों को श्रद्धांजलि देने के लिए, उनसे जुड़े अपने अनुभव साझा करने के लिए और उनके व्यक्तित्व की उपलब्धियों को दर्शाने के लिए श्रद्धांजलि डॉट कॉम का इस्तेमाल करते हैं।
श्रद्धांजलि डॉट कॉम
यह एक ऐसा ऑनलाइन पोर्टल है, जो दुनिया छोड़ कर जा चुके प्रियजन की जानकारियां, उपलब्धियां, तस्वीरें व उसके संबंधियों के नाम लिखने का मंच उपलब्ध करवाता है। पोर्टल के सह संस्थापक विवेक व्यास का कहना है, ‘हम इसे एक ऐसे मंच का रूप देना चाहते थे, जहां लोग अपने प्रियजनों को याद कर सकें और उनसे जुड़ी अपनी भावनाएं साझा कर सकें।’ अहमदाबाद से संचालित इस पोर्टल में ऐसा फीचर भी है जो संबंधियों को जन्मदिन या पुण्यतिथि भेजता है।
इस नये आइडिया जन्म हुआ समोसे के साथ
श्रद्धांजलि के इस डिजीटल मंच का विचार व्यास और विमल पोपट को वर्ष 2010 में उस समय आया जब उन्होंने चाय के साथ समोसे एक अखबार पर रखे। उन्होंने ध्यान से देखा तो वह श्रद्धांजलि का कॉलम था। दोनों को ही उस कॉलम में कई खामियां दिखीं। उन्होंने इसमें सुधार लाने और इसे ऑनलाइन मंच देने के बारे में सोचा क्योंकि वहां ऐसी कोई शुरुआत नहीं हुई थी।
हालांकि बहुत लोग इस ऑनलाइन मंच के बारे में नहीं जानते लेकिन इस दिशा में प्रयास किए जा रहे हैं। प्रचार का जरिया सेल्स एजेंट भी हैं। यूजर्स जब एक दूसरे को इस मंच के बारे में बताते हैं तो यह बहुत लाभदायक होता है। नम्रता माथुर को भी इस मंच की जानकारी किसी संबंधी से ही मिली थी। उनके अनुसार, आज उनके बहुत से संबंधी विदेशों में श्रद्धांजलि के मंच का इस्तेमाल अपने प्रियजनों को याद करने के लिए करते हैं।
विज्ञापन से दूरी बना रखी है
वेब पोर्टल होने के बावजूद इन दोनों ने इस पर विज्ञापन न देने का फैसला किया। दरअसल वे इस मंच को पूरी तरह निजी भावनाओं को समर्पित रखना चाहते थे और विज्ञापन की रंग-बिरंगी पट्टियों से ध्यान भटकने का खतरा रहता है। इसलिए श्रद्धांजलि डॉट कॉम का बिजनेस मॉडल विज्ञापन के बजाय सब्सिक्रिप्शन मॉडल पर निर्भर करता है। वार्षिक सब्सिक्रिप्शन के लिए 1000 रुपए और पांच साल के लिए 2700 रुपय देने होते हैं।
इस क्षेत्र में मौजूद विकल्पों को देखते हुए श्रद्धांजलि डॉट कॉम के लिए कई अवसर है। व्यास कहते हैं, ‘ब्रिटेन में गुजरात समाचार पूरे पेज का संदेश देने के लिए 56 हजार रुपए लेता है। वहीं भारत में कोई भी अखबार छोटा से संदेश देने के लिए 3500 से 7000 रुपए लेता है।’ सही चार्ज और उपलब्ध स्पेस के बूते श्रद्धांजलि के पास नए अवसर हैं।
व्यास के अनुसार, पोर्टल का मुख्य लक्ष्य ऐसा डाटा बेस तैयार करना है, जहां लोग अपने पूर्वजों को तलाश कर सकते हैं। इस तरह का डाटा बेस होने से नई पीढ़ी को पूर्वजों, उनकी उपलब्ध्यिों और उनके व्यक्तित्व के बारे में जानने का अवसर मिल सकेगा। फिलहाल व्यास एसएमएस रिमाइंडर सर्विस पर काम कर रहे हैं। यह पुण्यतिथियों की जानकारी यूजर्स के मोबाइल पर ही भेज दिया करेगी।
इस क्षेत्र में बाधाएं भी हैं
हालांकि अखबारों के विज्ञापनों के क्षेत्र में काम करने वालों का मानना है कि यह मंच दिखने में आकर्षक लग सकता है, लेकिन यह उतना कारगर नहीं हो सकता। लोग अखबार मे इसलिए संदेश देते हैं, ताकि शोकसभाओं की जानकारी दी जा सके। अब ऑनलाइन मंच होने की स्थिति में लोग रोज तो लॉग इन करके देखेंगे नहीं। जबकि अखबार तो रोज ही पढ़ा जाता है। ऐसे में इस पोर्टल के लिए बाधाएं भी हैं।
जुड़ते है लोग
लोगों को ऑनलाइन श्रद्धांजलि के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं है। उन्हें इसके बारे में बताने के लिए पोर्टल के संस्थापक उस सेल्स टीम के साथ काम करते हैं, जो अखबारों के कॉलम में इसके लिए जगह दिलवाते हैं। उन्हें ये 50 फीसदी कमीशन देते हैं। अब तक इस पोर्टस पर लगभग 140 प्रोफाइल अपलोड हो चुके हैं और यह लगभग 4 लाख रुपए जुटा चुकी है।