एम एल कौसर सभागार में प्राचीन कला केन्द्र द्वारा आयोजित तीन दिवसीय हेमंत उत्सव के समापन पर मुंबई से आयी शास्त्रीय गायिका सोनल शिव कुमार द्वारा मधुर शास्त्रीय गायन की प्रस्तुति पेश की गयी ।
सोनल शिव कुमार जयपुर अतरौली घराने की प्रसिद्ध श्रीमती माणिक भिड़े के मार्गदर्शन में हिंदुस्तानी संगीत की शिक्षा ले रही हैं। उन्होंने पंडित प्रभाकर कारेकर से 12 वर्षों तक हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत (गायन) सीखा है। हालाँकि उन्होंने ख्याल गायकी का प्रशिक्षण लिया है, लेकिन वे भजन, ठुमरी, झूला, दादरा और मराठी लोकगीतों सहित अर्ध-शास्त्रीय संगीत के अन्य रूपों में भी उतनी ही सहज हैं। देश भर में प्रदर्शन करने और अंतरराष्ट्रीय क्षेत्र में अपनी विशेषज्ञता फैलाने के लिए उन्होंने कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मंचों पर प्रदर्शन किया है और सदियों पुरानी परंपरा को जीवित रखा है
सोनल ने ने कार्यक्रम की शुरूआत राग मधुवंती से की जिसमें उन्होंने आलाप से शुरू करके मध्य लाया झप ताल में निबद्ध रचना शिव आद मध् अंता " पेश की। इसके पश्चात द्रुत आधा चौताल में सजी रचना तू ही रब गरीबनवाज़ प्रस्तुत करके दर्शकों का दिल जीत लिया। इसके पश्चात आग बागेश्री पर आधारित रचना जोकि साढ़े 9 मात्रा सुनन्द ताल में निबद्ध थी पेश करके तालियां बटोरी। इस रचना के बोल थे मन मोहन श्याम "। इसके उपरांत द्रुत एक ताल में एक अन्य खूबसूरत रचना सुनत तान भाई मैं बावरिया पेश की जिसे दर्शकों के सराहा । कार्यक्रम का समापन उन्होंने एक खूबसूरत दादरा से किया । इनके साथ तबले पर मुंबई य के युवा तबला वादक तेजोवृष जोशी तथा हारमोनियम पर कुरुक्षेत्र के जाने माने हारमोनियम वादक डॉ तरुण जोशी ने खूबसूरत संगत करके कार्यक्रम को चार चाँद लगा दिए कार्यक्रम के अंत में सचिव श्री सजल कौसर एवं तबला गुरु सुशील जैन ने कलाकारों को सम्मानित किया।