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छठ पर्व

Updated on Saturday, November 18, 2023 07:06 AM IST

छठ का पावन पर्व छठ मैया को समर्पित अब देश और विदेश के हर कोने में बङे सद्भाव और पवित्रता के साथ मनाया जाता है,जो पहले बिहार और पूरबिया उत्तर प्रदेश में सिर्फ मनाया जाता था,जहां कहीं भी ऐसे निवासी अब अपना घर मन चुके हैं.यह पर्व सात्विक और साक्षात् सूर्य-वरूण को समर्पित एक सत्य शाश्वत पर्व है.इसमे आध्यात्म के साथ कई वैज्ञानिक पहलू भी जुङा है.

सूर्य को अर्घ्य देते वक्त जब हम सब व्रती के समीप जल या दूध का तर्पण देते हैं तो वैज्ञानिक पलैंक्स के रंग विवरण सिद्धांत के अनुसार सूर्य की किरणें सात रंगों में बंटकर सात फ्रीक्वेंसी नाद और उर्जा में विभाजित होकर अनुरूपित और सुनियोजित बन शारीरिक तंतु सेल न्यरॉन को उत्तेजित कर देता है जो विज्ञान कहता है और इसके प्रतिरूप आध्यात्मिक रूप में एक एस्ट्रोजेन और प्रोजेस्टोरेन हॉरमोन की उत्पत्ति होने लग जाती जिसमें एक सुखद अनुभव होता है.

दीपावली के बाद वातावरण में शोर-धूलकण,कार्बन के विभिन्न अवयव,बी.टी.एक्स( बेंजीन-टाल्यून-जाईलीन ) का बहुत स्त्राव होता है.कुछ तो भैया दूज,विश्वकर्मा-गोबर्धन पूजा जैसे ब्रतों से स्थिरता आ जाती जिसको जल की शीतलता-वहिस्त्राव-छठ में जल के तर्पण और उत्सर्जित सूर्य की किरणों के विसर्जन में वायु प्रदूषकों के शोषण से पूर्णता मिलती है.छठ मैया के ब्रती को नहाय-खाय से लेकर 48 घंटों का उपवास रखना होता और समस्त घर वालों को संयम,पवित्रता और धैर्य रखनी पङती है जिसमें शरीर के समस्त टॉक्सीन कारकों का सर्वनाश होजाता है,जो मन के सात्विकता को जगाता है और आदित्य ह्रदय स्त्रोत के पाठ से शरीर के समस्त तंतू में सद्भावना का संचार और समावेश कर देता है.
डा.बासुदेव प्रसाद, पर्यावरण वैज्ञानिक(भू,पू.),सी.एस.आई.आर.चंडीगढ़

Readers' Comments
Hare Ram Pandit 11/22/2023 11:45:51 PM

Chhath Puja has been well described scientifically. Congratulations sir ji.

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